
प्रधानाचार्य संदेश
डॉ राधामोहन दास
ऋषि मुनियों के तपों से पवित्र किया हुआ पर्वतों के राजा हिमालय के तलहटी में, कल-कल ध्वानि से अखण्ड गतिशील पिघली हुई बरफ की निर्मल जल धारा से परिपूर्ण परम पावनी माँ भागिरथी जी के नैकत्य तट पर तथा खिली हुयी विभिन्न फुलों के सुगन्ध मिश्रित मन्द-मन्द प्रवाहित वायु प्राकृतिक सौन्दर्य से सुशोभित, विश्व प्रसिद्ध पर्यटक स्थल रामझूला के समीप रिथित श्री दर्शनमहाविद्याल के प्रथम सेवक होने के कारण सभी संस्कृत अनुरागियों, संस्कृतज्ञ, प्रशासनिक अधिकारियों, प्रबन्धतन्त्र, शिक्षक, कर्ममारी, अभिभावक एवं प्रिय छात्र आप सभी को हृदय से अभिनन्दन करते हुये मैं अपने को धन्य अनुभव करता हूँ |
धर पुराण-इतिहास, दर्शनादि शास्त्रों का संरक्षण-सम्वर््धन प्रचार-प्रसार तथा भारतीय सनातन संस्कृति परम्परा को आगे बढाने एवे ज्ञानपीपासु छात्रों के व्यक्तित्व विकास के लिए प्रात: स्मरणीय योगिराज १008 श्री राघवाचार्य महाराज जी के द्वारा 499 ई0 सन् में श्री दर्शन महाविद्यालय स्थापित किया गया है। प्रथमा प्रथम से उत्तर मध्यमा द्वितीय पर्यन्त (कक्षा 6 से 42 तक) कक्षाओं की सम्बद्धता उत्तराखण्ड संस्कृत शिक्षा परिषद् तथा शास्त्री और आचार्य कक्षाओं की सम्बद्धता उत्तराखण्ड संस्कृत विश्वविद्यालय से है |
श्री दर्शन महाविद्यालय में नव्यव्याकरण, साहित्य, ज्योतिषादि शास्त्रीय विषयों की तथा विज्ञान, गणित, हिन्दी, समाजशास्त्र, राजयनीतिविज्ञान, अर्थशास्त्रादि आधुनिक विषयों की मान्यता है। भारत सरकार के निर्देश के अनुसार औपचारिकता के तौर पर सारे विषयों का विधिवद् अध्ययन होता है। छात्रों के बहुमुखी विकास के लिये अनौपचारिक के तौर पर वेदाध्यन, संस्कृतसम्भाषण, रूद्राभिषिक और कर्मकाण्ड का अहर्निश अध्यन-अध्यापन किया जाता है | सम्पूर्ण पर्वतीय क्षेत्र, विभिन्न प्रान्त और विदेशों से ब्रहमचारी बालक यहां आकर अध्ययन करते है। यहां से पढ़ा हुआ छात्र विभिन्न सरकारी पदों पर सेवारत है और व्यक्तिगत पुरूषार्थ से अपना समाज, देश तथा विश्व का विकास कार्य में अविछिन्न रूप से संलग्न है |
‘डॉ0 राधामोहन दास:
(प्राचार्य) श्रीदर्शनमहाविद्यालय:,
मुनि की रेती, टिहरीगढवालम्
उत्तराखण्डम्